Wednesday, May 27, 2009

awaak

मैं सोया था इंतजार में कि नींद टूटे, अब जागा तो पाया सब अपने छूटे.
नींद गहरी थी मैं भान ना पाया, परायों की शकल पहचान ना पाया.
अवाक खड़ा चौराहे पर वह कौन है,मैं पूछता मन से- मन मौन हैं.