Saturday, June 20, 2009

sameeksha

पेईंग गेस्ट
डोंट पे फॉर इट
कलाकार- श्रेयस तलपदे, जावेद जाफरी, आशीष चौधरी, वत्सल सेठ, नेहा धूपिया, सेलीना जेटली, रिया सेन, सयाली भगत, जानी लीवर, डेलनॉज पाल, असरानी, चंकी पांडे और इंद्र कुमार
लेखक-निर्देशक- पारितोष पेंटर
पटकथा-संवाद- लॉरेंस जॉन
बैनर-निर्माता- सुभाष घई, राजू फारूखी
संगीत- साजिद-वाजिद
छायांकन- सेल्वा कुमार
कहते हैं तूफान से पहले अक्सर सन्नाटा होता है लेकिन बॉक्स ऑफिस पर पिछले दो महीने से पसरे सन्नाटे के बाद रिलीज हुई पेईंग गेस्ट सफलता का तूफान लाने में शायद ही सफल हो । लेखक-निर्देशक पारितोष पेंटर की कहानी में कई जगहों में झोल है । फिल्म का पहला ही दृश्य फिल्म धमाल की याद दिलाता है जो उन्होंने निर्देशक इंद्रकुमार के लिए लिखी थी । पूरी फिल्म कई फिल्मों का मिश्रण है । अपना सपना मनी-मनी में लड़की का किरदार निभा चुके रितेश देशमुख फूहड़ नहीं लगते लेकिन यहां प्रौढ़ महिला करीना के किरदार में जावेद जाफरी नितांत फूहड़ लगते है । एक अन्य महिला करिश्मा के किरदार में श्रेयस तलपदे स्थिति कुछ हद तक संभाल ले जाते हैं । दोनों की तुलना में फिल्म रफूचक्कर के ऋषि कपूर और गूफी पेंटल बेहतर थे । गोलमाल में मकान मालिक बने परेश रावल और सुष्मिता मुखर्जी बुंदेला की तुलना में जॉनी लीवर और डेलनाज पॉल कमजोर नजर आते हैं । फिल्म का क्लाइमेक्स कुंदन शाह की जाने भी दो यारों के प्लॉट से सीधा मारा हुआ है । पिछले कई सालों से रंगमंच से जुड़े पारितोष से इतनी बारीक गलतियों की उम्मीद नहीं थी । कहानी चार दोस्तों श्रेयस तलपदे, आशीष चौधरी, जावेद जाफरी और वत्सल सेठ की है जो बैंकाक के पटाया शहर में घर तलाशते हैं । उनके पास इतने पैसे नहीं है कि वे एडवांस डिपॉजिट देकर घर किराए पर ले सके । फिल्म में दो बार प्रत्यक्ष रूप से ऐसा बताया जाता है कि वे भारत में अपने घर पर महीने की कमाई का एक बड़ा हिस्सा भेजते हैं । इसी वजह से वे घर का डिपॉजिट नहीं दे पा रहे हैं लेकिन पटकथा में पेंच तब नजर आता है जब दर्शक को इस बात का इल्म भी नहीं होता । असरानी के घर से निकाले जाने के बाद वे पटाया शहर के ही एक मशहूर ओवर-ब्रिज पर खड़े होकर सॉफ्ट ड्रिंक हाथों में लेकर अपने गम का इजहार करते हैं । पटकथा लेखक लॉरेंस जॉन को होमवर्क की जरूरत थी । हालांकि उन्होंने कुछ संवाद अच्छे लिखे हैं जिसमें आशीष चौधरी नेहा धूपिया से कहते हैं खुशियों इकोप्रूफ साउंड की तरह होती हैं जो जिंदगी में धीरे-धीरे आती हैं । इसके बाद ये चारों वे जॉनी लीवर और डेलनॉज के घर पेईंग गेस्ट के तौर पर रहने जाते है लेकिन शर्त यह होती है कि रहने वाले शादी-शुदा होने चाहिए। फिर क्या श्रेयस आशीष चौधरी की पत्नी बन जाते हैं और जावेद जाफरी वत्सल सेठ की। कहानी में चंकी पांडे और लम्बे अर्से के बाद इंद्र कुमार निगेटिव रोल में हैं जिसकी कोई जरूरत नहीं थी । अदाकाराओं में नेहा धूपिया का किरदार कुछ हद तक चरितार्थ होता है बाकी सेलीना जेटली, सयाली भगत और रिया सेन को अत्यधिक प्रशिक्षण की जरूरत है । खासकर रिया सेन का रोने वाला सीन जिसमें वे फूट-फूटकर रोती हैं लेकिन उनके आंसू नहीं निकलते । फिल्म का गीत-संगीत सामान्य स्तर का है । साजिद-वाजिद और जलीस शेरवानी की तिकड़ी एक भी ऐसा गाना नहीं बना पाई है जो जुबां पर टिक सके । सिनेमैटोग्राफर सेल्वा कुमार ने बैंकाक की खूबसूरती को उसी अंदाज में कैमरे में कैद किया है । गानों की शूटिंग में रंगों और लेंसों का खासा ध्यान रखा गया है । पिछले दो महीने से मल्टिप्लेक्स हड़ताल के चलते अगर आपने कोई बड़े बैनर की फिल्म नहीं देखी है तो आने वाले हफ्ते का इंतजार करें । सुभाष घई बैनर तले बनी इस पेईंग गेस्ट को देखने से बेहतर है कि 1957 में बनी सुबोध मुखर्जी की पेईंग गेस्ट की डीवीडी घर पर लाकर देखें। पूरा पैसा वसूल होगा ।