ब्लाग की दुनिया में मैं आज अपना स्वागत खुद कर रहा हूँ. स्पष्ट रूप से यह मेरी पहली पोस्ट है. यह मंच पिछ्ले काफ़ी समय से मुझे आसीन होनेके लिए प्रेरित करता रहा है. तकनीकी रूप से भयानक जदोज़्हद के बाद आख़िरकार रात के 10 बज मैने सफलता पा ली है. वजह भी बताता चलूँ कि बचपने में गणित में कमजोर रहा, किशोर हुआ तो कंप्यूटर्स ने तंग किया. साइन्स की जगह आर्ट्स में दाखिला लिया. फिर एक रात सपने में अकबर इलहाबादी नामक एक आदमी आया और कहा ---खीचों न कामानों को ना तलवार निकालो, गर तोप मुक़ाबिल हो तो अख़बार निकालो..
तब से आज तक मैने कुछ ऐसा पढा जो गुणा, जोड़, घटाने से परे रहा और कुछ ऐसा ही बेहिसाब सा लिखा...
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bakchod saale
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