अर्र की आवाज़ आई घोंसला बिखर गया,
तिनका-तिनका उड़ के जाने किस डगर गया.
चूजे को संभाले गौरैया भी गिरी धम्म से
आसमान के ख्वाब जमींदोज हुए झम्म से.
फिर वक़्त की हवा चली तो धूल जख्म पाट गई,
पर इंसानी आरी एक पेड़ काट गई.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
ek kavi jo bikhare hue dino ko soch raha hai.................great
ReplyDelete