Thursday, April 2, 2009

takaazaa

अर्र की आवाज़ आई घोंसला बिखर गया,
तिनका-तिनका उड़ के जाने किस डगर गया.

चूजे को संभाले गौरैया भी गिरी धम्म से
आसमान के ख्वाब जमींदोज हुए झम्म से.

फिर वक़्त की हवा चली तो धूल जख्म पाट गई,
पर इंसानी आरी एक पेड़ काट गई.

1 comment:

  1. ek kavi jo bikhare hue dino ko soch raha hai.................great

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